शिकारी आएगा जाल बिछायेगा भूल से फसना नहीं/ दोस्तों ये कहावत वर्षो पुरानी हैं /और हमें जीवन के मार्ग दर्सन में हमेसा सहायक साबित होता है/ फिरवी हम लोग भूल जाते है पुरुखों की बातो को /जिसका नतीजा हम कही ना कही जाल में फस जाते है /कहने का तातपर्य ये है /हम लोग बीजेपी नाम के बहरूपिया को पहचान ना सके सात साल पहले जिसका नतीजा आज पूरा देश भूगत रहा है /क्या क्या बया किया जाय इनकी नीतिओ को देश भुगत रहा है /फिर ये बहरूपिया उत्तर प्रदेश चुनाव में घूम रहे है /और चार राज्यों में /इनके बहकावे में ना आये /नहीं तो खुद इनके आका कहते है की हम तो भिखारी है झोला उठाके चल देंगे /देश बेच कर /फिर लोग ढूढ़ते रह जायेगे /इन भाजपाइयों को आरएसएस समर्थित /इसलिए दोस्तों समय की पुकार सुने और इन भाजपाइयों को पहचाने /और रोना छोड़े मोबाईल के आंसू / तो कभी गैस के आंसू तो कभी पेट्रोल डीजल का /अभी भी पहचाने की ये लोग देश के प्रती कितने उदासीन है/ आज देश के जो सात वर्षो में सात करोड़ युवाओ को बेरोगार कर दिए/ हाथो में थाली कटोरा पकड़ा दिए/ की पकोड़े बनाओ तो खायेगा कौन /खाने के पैसे कहा से आएंगे/ हम चाइनीज चीजों को सामानो कैसे बहिस्कार करे जो हर घर में मिलता है /ये बीजेपी की निति है /देश में कोई नई रोजगार नहीं उलटे हर साल छटनी की मार/ क्या होगा देश का भविस्य /याद कीजिये ओ दिन जब बिदेसो से ब्लेक मनी आएगा/ और सबको 15 लाख रुपैया मिलेगा /और लोग तेल लगाके खाएंगे/ बुरा सोच के बुरा नतीजा/ सुनो भाई साधो सुनो भतीजा जय हिन्द जय भीम के मांझी सिवान